Category Archives: योग

उम्मीदों का बँधन

कहते हैं, उम्मीद पे दुनिया कायम है,
संत कह गये हैं, दुनिया से अंततः दुख़ ही मिलता है,
अतः सभी दुखों के मूल में उम्मीद ही है,
चलो इन उम्मीदों से नाता तोड़ें,
न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी,
उम्मीदों का न पालना ही कर्मयोग है,
कर्म धर्म समझकर न की उम्मीदें बाँधकर करें|